खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब देश -विदेश के सभी व्यंजनों को खाने में शामिल करने से है| स्थानीय व्यंजनों और पकवानों के साथ अन्य राज्यों/देशों के भी स्वादिष्ट भोजन के बारे में जानना, पकाना और खाना चाहिए। आजकल हर घर में अलग -अलग तरह के स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलते हैं। इसी तरह मेरे घर में भी कभी दाल, कभी पूड़ी, कभी सब्जी -चावल, कभी रोटी, कभी भटूरे, कभी चाउमीन, कभी पाश्ता, कभी डोसा और कभी इडली -सांबर आदि व्यंजन परोसे जाते हैं। अब तो पिज्जा और बर्गर का चलन भी बढ़ गया है। इसलिए हम सब कभी -कभी घर से बाहर जाकर इन व्यंजनों के स्वाद का भी मजा लेते हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति विविधता को बढ़ावा देती है|